हमारी गली में भी आया करो
सनम इस कदर न सताया करो यही फुरसतों का तकाजा है अब भी
गजल तुम मेरी गुनगुनाया करो
तुम्हे देखकर हम भी जिन्दा रहे
तरस हम गरीबों पे खाया करो
माना तुम्हे भी है डर दुनिया का
मगर इतना सितम भी ना ढाया करो
करेंगे इशारों- इशारों में बातें
कुछ भी जुबाँ पर ना लाया करो
बहारें आती है सावन में दिलबर
दिए की तरह न जलाया करो
रह जाए प्यासी न अधूरी कहानी झूठी कसम तुम ना खाया करो
दिल-ये- हाल कुछ भी गंवारा नहीं है
रोज़ एक झलक अपनी दे जाया करो
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