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शुक्रवार, 9 मार्च 2012

कितने रंग भरे है

होली में कितने रंग भरे है
ये हमारी समझ से कितने परे है
साल के बारह महीने
बारह के बावन
तब जाकर आता है
यह मास बड़ा ही पावन
फिर भी हम अपनी
रोजमर्रा की जिम्मेदारी में
कैसे उलझे हुए है
पाप, भ्रस्टाचार और चापलूसी
में कितने सुलझे हुए है
होली का त्यौहार तो आता ही है
हर साल हमे यह सिखाता ही है
ये इंसान तुझमे तो मुझसे भी
ज्यादा रंग भरा है
कोई क्या दीगायेगा तुझे गर
तेरा ईमान खरा है
सब बुरे कर्म छोड़कर अच्छाई अपना लो
अपने रंग में रंग कर जीवन सफल बना लो