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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

मिराज-२०००


था अक्टूबर सन उन्नीस सौ बयासी
बढ़ रही थी राजनिति सियासी
एफ-१६ पाकिस्तान ने मोल लिए
इस अहंकार में उसने भारत को
कुछ कड़े शब्द भी बोल दिए
यह सब सुनकर भारत देश का
गर्म खून खूब खौला था
देकर पैसा फ़्रांस को उसने
२०००-मिराज को तौला था
एक मिनट में १२५ राउंड
तड-तड गोलियां दागता है
एफ-१६ की क्या बात करे
डर कर पाक भागता है
उन्नीस सौ निन्यानबे में जब
कारगिल में घमासान हुआ
इधर से भारत और उधर से
तैयार पाकिस्तान हुआ
हुआ युद्ध और इस फ़तेह में
अहम् भूमिका निभाई थी
पाक के सारे सैनिक को
मिराज ने धुल चटाई थी
फ़रवरी २६ २०१९ को तडके
मिराज ने फिर आगाज किया
घुस कर पाक के कैम्पों को
नेस्तानाबूद और बर्बाद किया  
४० के बदले ४०० मारा
लिया शहीदों का प्रतिकार
धन्य वीर है भारत माँ के
करूँ नमन और जय-जय कार

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

वेलेंटाइन डे (प्रेम दिवस)

आज हम बात करेंगे १४ फ़रवरी अर्थात “वेलेंटाइन डे” की | क्या आपको पता है की ये वेलेंटाइन डे क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है ? तो चलिए हम आपको बताते है कि आखिर ये “वेलेंटाइन डे” है किस चिड़िया का नाम |
“रोम” के इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है की तीसरी शताब्दी में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था सम्राट क्लॉडियस, उसका यह मानना था कि विवाह करने से मर्दों की ताकत और बुद्धि कम जाती है, इसलिए उसने अपने शासन में यह नियम लागू करवा दिया था की कोई भी सैनिक विवाह नहीं करेगा | उसी समय में एक संत हुआ करते थे उनका नाम संत वेलेंटाइन था, वे इस प्रथा के बिलकुल खिलाफ थे और इसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया | उनके इस आह्वान पर रोम के सैनिकों ने विवाह किये | यह देखकर सम्राट क्लॉडियस ने संत वेलेंटाइन को सजा ए मौत का फरमान सुनाया | तब से उनकी याद में वेलेंटाइन डे या कह ले कि प्रेम- दिवस मनाया जाता है।
लेकिन, अगर हम भारत वाशी है तो हमें इस वेलेंटाइन डे से क्या लेना-देना, क्या प्रेम-दिवस को एक ही दिन मनाने की प्रथा है | प्रेम का आदान-प्रदान करना तो पृथ्वी पर रह रहे सारे जिव- जंतुओं का मौलिक अधिकार है | इसको किसी एक विशेष दिन या साल में दिखाना या दर्शाना यह जरा सोचने वाली बात है
“प्रेम” विषय पर हमारे महान कवियों, ऋषियों और रचनाकारों की मेहनत क्या किसी विदेशी रचनाकारों से कम है ? नहीं | मुझे संत वेलेंटाइन से कोई विरोध नहीं है लेकिन विदेशी वस्तुएं और विदेशी परंपरा को क्यों अपनाना |
ऋषि वात्स्यायन, कालिदास, बाणभट्ट, रत्नाकर, तुलसीदास, पद्माकर, इन कवियों ने सौन्दर्य का, प्रेम का, श्रृंगार का, रति का इतना सूक्ष्म और गहन चित्रण किया है की प्रेम के इस बाज़ार में हजार वेलन्टाइनों को पछाड़ने के लिए सिर्फ एक कालिदास ही काफी है।
क्या हम अपनी परम्परा से अवगत नहीं है ? क्या हम नकल पर जिन्दा है ? क्या हमारी अपनी कोई भाषा नहीं, साहित्य नहीं, संस्कृति नहीं ?  हम हर क्षेत्र में पश्चिम की नकल को ही अकल मानते चले आ रहे है | जिस शब्द का हम सही से उच्चारण भी नहीं कर पाते उस वेलेंटाइन डे से हमें क्या लेना देना | इन सब दकियानूसी परम्पराओं से हमें उबरना होगा, पश्चिमी चोला उतार फेकना होगा, हमें अपने वास्तविक परम्पराओं और संस्कृत को अपनाना होगा |

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की “प्रेम” को दुसरे के शब्दों और परम्पराओं के जरिये जताने के बजाय अगर हम अपने शब्दों, वेशभूषा, और अपने रंग में रंग कर प्रेम का इजहार, इकरार और इंकार करें तो जो आनंद की प्राप्ति और अनुभूति होगी उसको हम किसी भी रूप में व्यक्त नहीं कर सकते या यूँ कह लीजिये कि उसका मर्म कोई वेलेंटाइन क्या समझेगा |

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

उत्कंठा ( अभिलाषा )

छुपते-छुपाते आये वो पर बात अभी बाकी है
दिल में सोये न जाने जज्बात अभी बाकी है ||
वो कहकर चलते बने, फिर आयेंगे
कैसे बताऊँ उनको की मुलाकात अभी बाकी है ||
हे! निशा तू खीँच ले अपने तम की चादर
ताकि उनसे कह सकूँ की रात अभी बाकी है ||
कुछ देर बैठो पास मेरे, जुल्फों से खेलो तुम
सर रखूं जिन हांथों पर वह हाथ अभी बाकी है ||
प्रेम की लौ में जल रहा मेरा चन्दन सा बदन
रोक दो इस आवेग को, एक साथ अभी बाकी है ||
इतनी जल्दी क्या है, अभी तो कुछ बात भी नहीं हुई
जी भरकर बात करुँगी, अभी तो सारी बात बाकी है ||
जब थम जाये आँसूं मेरे, फिर शौक से चले जाना
ऐसे में कहाँ जाओगे बरसात अभी बाकी है ||