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सोमवार, 26 सितंबर 2011

कहाँ तक जाओगे

जाओ, जा जा के कहाँ तक जाओगे
आखिर थक कर चूर हो जाओगे
तिनके का सहारा कहीं न पाओगे
तब लौट कर वापस यहीं आओगे
तेरे खातिर ये मुहब्बत निशार कर दूँ
दिल में कोई हसरत हो तो तार-तार कर दूँ
अपने दिल के आईने में किसी को न लाओगे
इतना ज्यादा तुम मुझसे प्यार पाओगे
ना जाओ दूर तुम यूँ मेरा होने के बाद
ना सह सकेंगे तेरा गम तुझे खोने के बाद
पल पल तुम्ही मेरी यादों में आओगे
कसम है तुम्हे मेरी जो तुम जाओगे
आपको पाकर अब खोना नहीं चाहते ,
इतना खुश होकर अब रोना नहीं चाहते
यूँ तो बहुत कुछ है ज़िन्दगी में ,
सिर्फ जिसे चाहते है उसे खोना नहीं चाहते

बुधवार, 21 सितंबर 2011

असर

होने लगा है असर धीरे धीरे
हुई शाम अब सुबह से धीरे धीरे
ना मंजिल थी ना हमसफ़र साथ मेरा
छोड़ गया वो इस कदर साथ मेरा
हो गयी है नीचे अब नजर धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे
जहाँ से चला था कारवां साथ मेरे
आया था वो भी कुछ दूर साथ मेरे
मझधार में  छुटेगी पतवार धीरे धीरे
ना मालूम था होगा उससे सबर धीरे धीरे
किनारा तो मिलना बहुत दूर था
पर मेरा यार कितना मजबूर था
मेरा साथ छोड़ा इस कदर धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे
आज ना मै हूँ ना मेरी कोई पहचान है
एक जिन्दा लाश हूँ जिसमे ना जान है
दफ़न हो गया "राज" कबर में धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे

तन्हाई

जब भी उसको तन्हाई में मेरी याद आएगी
प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पे झलक आएगी
देखेगी मेरी तस्बीर को गौर से साकी
रो रो कर सिने से फिर लगाएगी
देखेगी जहाँ जहाँ मेरी निशानी को
अपने आँचल में छुपाती नजर आएगी
बीते हुए दिन की बीती हुई कहानी
अपने सखियों से कहती नजर आएगी
जब खुद को आईने के सामने पायेगी
अपनी उस छोटी सी भूल पे बहुत पछताएगी
चाहकर भी आज मेरे उन हसीं पलों के
"राज" दिल से जुबान पर ना ला पायेगी

शनिवार, 17 सितंबर 2011

सपनो की दुनिया

सुबह सुबह जब नींद से जागा
उठ कर बैठ गया बिस्तर पर
बेल बजी तब दरवाजे की
नींद हो गयी थी रफू चक्कर
बेमन से दरवाजा खोला
बंद थे नयन धीरे से बोला
कौन हो तुम और कहाँ से आये हो
कच्ची नींद में हमको जगाये हो
वो बोला की नाम डाकिया
डाक घर से आया हूँ
प्रियतम का शंदेशा तुम्हरा
दूर देश से लाया हूँ
सुनकर बात उस डाकिये की
मन में लड्डू फूट पड़ा
छीन कर  लेटर उसके हाथ से
ख़त पढने को टूट पड़ा
पढता ही गया रोता ही रहा
प्रेम पत्र में मशगुल रहा
याद आया वो आज पुराना
यार था मेरा मै भूल रहा
सुनकर उसकी शादी का हाल
दिल के टुकड़े हज़ार हुए
आज हम उसके खातिर
क्या इतने बेकार हुए
सोचा था मै कुछ और लेकिन कुछ और हो गया
सपनो की दुनिया में फिर से "राज" खो गया

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

तलब

तलब एक चीज है ऐसी
नशा उसमे भरा होता है
कहाँ हूँ और कौन हूँ मै
इसका कहाँ पता होता है
अजीब सी इसमे कशिश होती है
नशा की कई प्रजाति होती है
सब अपने अपने नशे में मस्त है
जिसे देखो सब के सब लस्त पस्त है
किसी को नफ़रत का नशा
किसी को  प्यार का
किसी को जीत का नशा
किसी को हार का
कोई बड़ा हो या छोटा हो
पतला हो या मोटा हो
सब पे नशा इस कदर छाया है
कही धुप है तो कही छाया है
बड़े बूढ़े कह गए की एक नशा जरूरी है
आज यही नशा हमारी मजबूरी है
नशे में हम आज कितने चूर है
हम अपनों से आज कितने दूर है
नशा छोडो यारों और जीवन सफल बनाओ
इस "राज" को  यारों अब तो समझ जाओ

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

इंतज़ार

आज भी तेरा इंतज़ार किया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है
ख़ुशी के वो पल जो बिताये तेरे दामन में
वो हंसी के ठहाके जो लगे तेरे आँगन में
आज उस मदहोशी का एहसास किया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है
तेरे बदन की खुशबू में रमा है मेरा मन
तू ही मेरे दिल में है और तू ही मेरी धड़कन
जुदा होके तुझसे ना जाने कैसे जिया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है
दर्द होता है क्या ये हमको मालूम न था
ऐसा आएगा वक्त हमको मालूम न था
आज उन्ही जख्मों को हम सिया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है
खायी थी कसमे निभाई थी रस्मे
दिल हुआ तेरा किसी और के बस में
उस बेवफा की याद में हम पिया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है
देखने को तो सारा जहाँ हमने देखा
जो देखा था वो हमने आज कहाँ देखा
तेरे "राज" का इम्तहान लिया करते है
बीते हुए लम्हों को याद किया करते है

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

काबिल

तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
फूलों ने महकना छोड़ दिया
चिड़ियों ने चहकना छोड़ दिया
बुलबुल ने गाना छोड़ दिया
तुने जब से आना छोड़ दिया
मजधार में अटकी नैया का
जैसे कोई साहिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
रात कटती रही तारे हँसते रहे
लोग सोते रहे हम तरसते रहे
आँख रोती रही आसूं बहते रहे
मौत आई लेकिन हम ये कहते रहे
उस दीवानी को ना सताओ मेरे दोस्तों
इस दीवाने का ये तो कातिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
मेरा निकला जनाज़ा बड़े शान से
डोली भी उठी उसकी सीना तान के
"राज" दिल में था उसको बताया नहीं
प्यार क्या है ए मुझसे जताया नहीं
तू जिस डगर पर चली मेरी दिलरुबा
वो मेरी राह की मंजिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं