कुछ दिन से मै सोच रहा हूँ
इस दिवाली पर क्या लिखूं i
महगाईं की मार लिखूं या
लोग पोछते पसीने की बुँदे
खड़े राशन की कतार लिखूं ii
भ्रस्टाचार या ब्यभिचार लिखूं
मानव बन गया है दानव
रावण का अवतार लिखूं ii
बच्चो का बिलखना और रोना
क्या भूखे पेट का सवाल लिखूं
फटे आँचल में से झाकती
माँ की आबरू का हाल लिखूं
दो - दो दिन बिन पानी के कैसे
गुजरे है वो सुबह शाम लिखूं
राजनीती की गन्दी सोच में
होते है जो वो काम लिखूं
नेता आये, आकर चले गए
वादे करके मुकर गए
फिर भी वोट तो उनका ही है
क्या जनता का व्यवहार लिखूं
बैठ सियासत की कुर्सी पर
मनमानी उनकी बढती गयी
जेब भरी और घर भर दिए
भरा उनका दरबार लिखूं
इतना होने पर भी अपना
भारत देश हमारा है
खुली आखो से देख तमाशा
अपना भारत देश महान लिखूं
इस दिवाली पर क्या लिखूं i
महगाईं की मार लिखूं या
लोग पोछते पसीने की बुँदे
खड़े राशन की कतार लिखूं ii
भ्रस्टाचार या ब्यभिचार लिखूं
मानव बन गया है दानव
रावण का अवतार लिखूं ii
बच्चो का बिलखना और रोना
क्या भूखे पेट का सवाल लिखूं
फटे आँचल में से झाकती
माँ की आबरू का हाल लिखूं
दो - दो दिन बिन पानी के कैसे
गुजरे है वो सुबह शाम लिखूं
राजनीती की गन्दी सोच में
होते है जो वो काम लिखूं
नेता आये, आकर चले गए
वादे करके मुकर गए
फिर भी वोट तो उनका ही है
क्या जनता का व्यवहार लिखूं
बैठ सियासत की कुर्सी पर
मनमानी उनकी बढती गयी
जेब भरी और घर भर दिए
भरा उनका दरबार लिखूं
इतना होने पर भी अपना
भारत देश हमारा है
खुली आखो से देख तमाशा
अपना भारत देश महान लिखूं