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शनिवार, 19 नवंबर 2011

याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है

याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
ढूढती है हर तरफ मगर दीदार नहीं कर पाती है
यादों के सहारे तो जिंदगी का सफ़र कटता नहीं
क्या करे ये दिल में जो दर्द है वो मिटता नहीं
चकाचौंध भरी दुनिया में रूह शुकून नहीं पाती हैं
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
वक्त के मरहम ने हर जख्म को भर दिया है
एक आम को बनाकर एक खास कर दिया है
सोना है गहरी नींद में पर रात कम हो जाती है
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
अब तो फ़साना बन गया है बस यादें ही बाकी है
डूबती हुई नैया को तिनके का सहारा काफी है
उजड़े हुए चमन में सावन का आना बाकी है
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है