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सोमवार, 2 अप्रैल 2018

कफ़न के लिए

मिट्टी से जन्मा, मिट्टी में खेला
मानव का तन सृजन के लिए
मिट्टी ही पहली बनी आधार
इस मानव के बचपन के लिए
नन्हे क़दमों ने जोर लगाया
गया मदरसा अध्ययन के लिए
हुई पढाई पूरी अब तो
योग्य हुआ चिंतन मनन के लिए
एक दिन सोचा मै भी बनाऊं
एक आशियाना रहन सहन के लिए
मिट्टी का ही बना घरौंदा
हुआ तैयार अब “लगन” के लिए
नया हमसफ़र आया उसका
खुश थे दोनों नए जीवन के लिए
जीवन की नैया डोल रही थी |
कुछ आगे बढते बोल रही थी ||
क्यों मानव के दिल औ दिमाग में
क्या यही है सब कुछ चमन के लिए
ये प्रेम नहीं है, है यह वासना
मिलन है यह तो दो बदन के लिए
प्रगाढ़ प्रेम जब बढ जाता है
तब बचता नहीं कुछ हनन के लिए
चेत ले मानव अब भी समय है
कुछ समय शेष है तेरे गमन के लिए
नास्तिक छोड़ आस्तिक बन जा अब
कुछ ध्यान लगा प्रभु भजन के लिए
वरना यह मिट्टी फिर मिट्टी बनकर
सड़ती रहेगी एक कफ़न के लिए