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बुधवार, 30 दिसंबर 2015

हया

आज इस मुल्क और शहर को हुआ क्या है

सोचता हूँ की बाकी अब बचा क्या है
खुलेपन और सौंदर्य की चाह में
भूले, मान-मर्यादा और हया क्या है
राहें पतन की जब उन्होंने चुनी
वो बोले की इसमें नया क्या है
भेष बदले है अपने ही लोगों ने
अब पहचान खोने में बचा क्या है
क्या अब फिर से लौटेंगे वो खुशहालियां
उस सुन्दर चमन का पता क्या है

आज इस मुल्क और शहर को हुआ क्या है
सोचता हूँ की बाकी अब बचा क्या है
खुलेपन और सौंदर्य की चाह में
भूले, मान-मर्यादा और हया क्या है
राहें पतन की जब उन्होंने चुनी
वो बोले की इसमें नया क्या है
भेष बदले है अपने ही लोगों ने
अब पहचान खोने में बचा क्या है
क्या अब फिर से लौटेंगे वो खुशहालियां
उस सुन्दर चमन का पता क्या है - See more at: http://www.internationalnewsandviews.com/poetryoninvcnews/#sthash.r3pNquDD.dpuf
आज इस मुल्क और शहर को हुआ क्या है
सोचता हूँ की बाकी अब बचा क्या है
खुलेपन और सौंदर्य की चाह में
भूले, मान-मर्यादा और हया क्या है
राहें पतन की जब उन्होंने चुनी
वो बोले की इसमें नया क्या है
भेष बदले है अपने ही लोगों ने
अब पहचान खोने में बचा क्या है
क्या अब फिर से लौटेंगे वो खुशहालियां
उस सुन्दर चमन का पता क्या है - See more at: http://www.internationalnewsandviews.com/poetryoninvcnews/#sthash.r3pNquDD.dpuf

गुरुवार, 26 मार्च 2015

दिखाओ न ख्वाब फिर से सुनहरे



दिखाओ न ख्वाब फिर से सुनहरे
वरना हो जायेंगे जख्म फिर से हरे
वफ़ा और बेवफा तो दस्तूर है
फरक क्या है उसको जो प्रेम में चूर है
सिला क्या दिया तूने मेरे प्यार का
जो हो गया तेरा छोड़ संसार का
घोंटा गला मेरे अरमानो का
दबा हु तले तेरे एहसानों का
लोगो ने पूछा कि क्या हो गया है
मेरा यार मुझसे जुदा हो गया है
अब कौन सा रंग अपने जीवन में भरे
जब मेरा रंग ही मन को बदरंग करे