आंसू देना ही था इन आँखों को तो ख्वाब क्यों दिखाया | छलका भी दूँ इसे तो कैसे जिसमे बसा है तेरा साया ||
सोमवार, 15 अगस्त 2011
खिलौना टूट गया....................
दिल की लगी...................
दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
तडपता है दिल ये तेरी याद बनकर i
तडपता है दिल ये तेरी याद बनकर i
रोता है मजबूर औ बेकार बनकर ii
वही राज में आज बताने चला हूँ दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
मालूम न था की ऐसा भी होगा i
मेरा दिल मुझसे जुदा भी तो होगा ii
नफ़रत की लौ मै जलाने चला हूँ
दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
होती है क्यों प्यार में रुसवाई i
होने के पहले ये मौत क्यों न आई ii
मोहब्बत की अर्थी सजाने चला हूँ
दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
ये दुनिया वालों कभी न प्यार करना i
घुट-घुट के जीना है और इसमें मरना ii
मोहब्बत का मातम मानाने चला हूँ
दिल की लगी आज बुझाने चला हूँ
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