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गुरुवार, 26 मार्च 2015

दिखाओ न ख्वाब फिर से सुनहरे



दिखाओ न ख्वाब फिर से सुनहरे
वरना हो जायेंगे जख्म फिर से हरे
वफ़ा और बेवफा तो दस्तूर है
फरक क्या है उसको जो प्रेम में चूर है
सिला क्या दिया तूने मेरे प्यार का
जो हो गया तेरा छोड़ संसार का
घोंटा गला मेरे अरमानो का
दबा हु तले तेरे एहसानों का
लोगो ने पूछा कि क्या हो गया है
मेरा यार मुझसे जुदा हो गया है
अब कौन सा रंग अपने जीवन में भरे
जब मेरा रंग ही मन को बदरंग करे