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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

काबिल

तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
फूलों ने महकना छोड़ दिया
चिड़ियों ने चहकना छोड़ दिया
बुलबुल ने गाना छोड़ दिया
तुने जब से आना छोड़ दिया
मजधार में अटकी नैया का
जैसे कोई साहिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
रात कटती रही तारे हँसते रहे
लोग सोते रहे हम तरसते रहे
आँख रोती रही आसूं बहते रहे
मौत आई लेकिन हम ये कहते रहे
उस दीवानी को ना सताओ मेरे दोस्तों
इस दीवाने का ये तो कातिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं
मेरा निकला जनाज़ा बड़े शान से
डोली भी उठी उसकी सीना तान के
"राज" दिल में था उसको बताया नहीं
प्यार क्या है ए मुझसे जताया नहीं
तू जिस डगर पर चली मेरी दिलरुबा
वो मेरी राह की मंजिल ही नहीं
तेरा प्यार किसी के काबिल ही नहीं