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बुधवार, 21 सितंबर 2011

असर

होने लगा है असर धीरे धीरे
हुई शाम अब सुबह से धीरे धीरे
ना मंजिल थी ना हमसफ़र साथ मेरा
छोड़ गया वो इस कदर साथ मेरा
हो गयी है नीचे अब नजर धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे
जहाँ से चला था कारवां साथ मेरे
आया था वो भी कुछ दूर साथ मेरे
मझधार में  छुटेगी पतवार धीरे धीरे
ना मालूम था होगा उससे सबर धीरे धीरे
किनारा तो मिलना बहुत दूर था
पर मेरा यार कितना मजबूर था
मेरा साथ छोड़ा इस कदर धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे
आज ना मै हूँ ना मेरी कोई पहचान है
एक जिन्दा लाश हूँ जिसमे ना जान है
दफ़न हो गया "राज" कबर में धीरे धीरे
होने लगा है असर धीरे धीरे

तन्हाई

जब भी उसको तन्हाई में मेरी याद आएगी
प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पे झलक आएगी
देखेगी मेरी तस्बीर को गौर से साकी
रो रो कर सिने से फिर लगाएगी
देखेगी जहाँ जहाँ मेरी निशानी को
अपने आँचल में छुपाती नजर आएगी
बीते हुए दिन की बीती हुई कहानी
अपने सखियों से कहती नजर आएगी
जब खुद को आईने के सामने पायेगी
अपनी उस छोटी सी भूल पे बहुत पछताएगी
चाहकर भी आज मेरे उन हसीं पलों के
"राज" दिल से जुबान पर ना ला पायेगी