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शनिवार, 19 नवंबर 2011

याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है

याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
ढूढती है हर तरफ मगर दीदार नहीं कर पाती है
यादों के सहारे तो जिंदगी का सफ़र कटता नहीं
क्या करे ये दिल में जो दर्द है वो मिटता नहीं
चकाचौंध भरी दुनिया में रूह शुकून नहीं पाती हैं
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
वक्त के मरहम ने हर जख्म को भर दिया है
एक आम को बनाकर एक खास कर दिया है
सोना है गहरी नींद में पर रात कम हो जाती है
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है
अब तो फ़साना बन गया है बस यादें ही बाकी है
डूबती हुई नैया को तिनके का सहारा काफी है
उजड़े हुए चमन में सावन का आना बाकी है
याद जब तेरी आती है तो आँखे नम हो जाती है

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

वो दिन आप को याद कैसे दिलाये

वो दिन आप को याद कैसे दिलाये
घर से निकलना और कुछ दूर जाना
तेरा फिर चुपके से पीछे से आना
पेड़ों के झुरमुट में बैठते थे हम तुम
सारे के सारे दुःख अपने हो जाते थे गुम
यही वो जगह है जहाँ हम मिले थे
यही वो जगह हैं, यही वो फिजायें
तुमने कहा था गले से मुझको लगाकर
सदा के लिए हम एक हो गए है
कहा था मेरा हाथ हाथों में लेकर
जुदा हम हुए तो करेंगे क्या जीकर
इन्हें हम भला, किस तरह भूल जाए
यही वो जगह हैं, यही वो फिजायें

बुधवार, 9 नवंबर 2011

हम भी प्यार के दीवाने है

एक कसक जो दिल के आगोश में सिसक रही थी
कह न पाए उनसे की हम भी प्यार के दीवाने है
एक मुद्दत से चाहा था जिनको हमसफ़र के लिए
आज वो कहते है की झूठे ये सब अफसाने है
लोग कहते है की प्यार तो खुद अपने में अधुरा है
ये तो हसीनाओं के खेलने के एक बहाने है
वे क्या समझेंगे प्यार का क्या मतलब होता है
इसको तो जानने में ही लगे कितने ज़माने है
दिल तोडना और खेलना तो कोई उनसे सीखे
जो कहते है की अभी और भी आशिक बनाने है
मेरी आशिकी का क्या सिला दिया है उन्होंने
ये तो बस अब सारे आशिकों को बताने है