आज फिर वही बात याद आई है
मेरे मन को धीरे से गुदगुदाई है
तेरा आना और कानों में कोई
नए सुर की लहर दे जाना
आखों में तेरा वो खिला चेहरा
साया बनकर रूप तेरा लायी है
तेरे होठों के लरजते पट पर
वो हंसी और वो सवरते गेशु
आज काली घटा बनकर छाई है
वो बनना सवरना और मन को लुभाना
रूठी हो सजनी तो बाँहों में भरकर
हंसी ख्वाब बनकर रातों में आई है
आज फिर वही बात याद आई है
मेरे मन को धीरे से गुदगुदाई है
मेरे मन को धीरे से गुदगुदाई है
तेरा आना और कानों में कोई
नए सुर की लहर दे जाना
आखों में तेरा वो खिला चेहरा
साया बनकर रूप तेरा लायी है
तेरे होठों के लरजते पट पर
वो हंसी और वो सवरते गेशु
आज काली घटा बनकर छाई है
वो बनना सवरना और मन को लुभाना
रूठी हो सजनी तो बाँहों में भरकर
हंसी ख्वाब बनकर रातों में आई है
आज फिर वही बात याद आई है
मेरे मन को धीरे से गुदगुदाई है
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