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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

मिराज-२०००


था अक्टूबर सन उन्नीस सौ बयासी
बढ़ रही थी राजनिति सियासी
एफ-१६ पाकिस्तान ने मोल लिए
इस अहंकार में उसने भारत को
कुछ कड़े शब्द भी बोल दिए
यह सब सुनकर भारत देश का
गर्म खून खूब खौला था
देकर पैसा फ़्रांस को उसने
२०००-मिराज को तौला था
एक मिनट में १२५ राउंड
तड-तड गोलियां दागता है
एफ-१६ की क्या बात करे
डर कर पाक भागता है
उन्नीस सौ निन्यानबे में जब
कारगिल में घमासान हुआ
इधर से भारत और उधर से
तैयार पाकिस्तान हुआ
हुआ युद्ध और इस फ़तेह में
अहम् भूमिका निभाई थी
पाक के सारे सैनिक को
मिराज ने धुल चटाई थी
फ़रवरी २६ २०१९ को तडके
मिराज ने फिर आगाज किया
घुस कर पाक के कैम्पों को
नेस्तानाबूद और बर्बाद किया  
४० के बदले ४०० मारा
लिया शहीदों का प्रतिकार
धन्य वीर है भारत माँ के
करूँ नमन और जय-जय कार

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

वेलेंटाइन डे (प्रेम दिवस)

आज हम बात करेंगे १४ फ़रवरी अर्थात “वेलेंटाइन डे” की | क्या आपको पता है की ये वेलेंटाइन डे क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है ? तो चलिए हम आपको बताते है कि आखिर ये “वेलेंटाइन डे” है किस चिड़िया का नाम |
“रोम” के इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है की तीसरी शताब्दी में एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था सम्राट क्लॉडियस, उसका यह मानना था कि विवाह करने से मर्दों की ताकत और बुद्धि कम जाती है, इसलिए उसने अपने शासन में यह नियम लागू करवा दिया था की कोई भी सैनिक विवाह नहीं करेगा | उसी समय में एक संत हुआ करते थे उनका नाम संत वेलेंटाइन था, वे इस प्रथा के बिलकुल खिलाफ थे और इसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया | उनके इस आह्वान पर रोम के सैनिकों ने विवाह किये | यह देखकर सम्राट क्लॉडियस ने संत वेलेंटाइन को सजा ए मौत का फरमान सुनाया | तब से उनकी याद में वेलेंटाइन डे या कह ले कि प्रेम- दिवस मनाया जाता है।
लेकिन, अगर हम भारत वाशी है तो हमें इस वेलेंटाइन डे से क्या लेना-देना, क्या प्रेम-दिवस को एक ही दिन मनाने की प्रथा है | प्रेम का आदान-प्रदान करना तो पृथ्वी पर रह रहे सारे जिव- जंतुओं का मौलिक अधिकार है | इसको किसी एक विशेष दिन या साल में दिखाना या दर्शाना यह जरा सोचने वाली बात है
“प्रेम” विषय पर हमारे महान कवियों, ऋषियों और रचनाकारों की मेहनत क्या किसी विदेशी रचनाकारों से कम है ? नहीं | मुझे संत वेलेंटाइन से कोई विरोध नहीं है लेकिन विदेशी वस्तुएं और विदेशी परंपरा को क्यों अपनाना |
ऋषि वात्स्यायन, कालिदास, बाणभट्ट, रत्नाकर, तुलसीदास, पद्माकर, इन कवियों ने सौन्दर्य का, प्रेम का, श्रृंगार का, रति का इतना सूक्ष्म और गहन चित्रण किया है की प्रेम के इस बाज़ार में हजार वेलन्टाइनों को पछाड़ने के लिए सिर्फ एक कालिदास ही काफी है।
क्या हम अपनी परम्परा से अवगत नहीं है ? क्या हम नकल पर जिन्दा है ? क्या हमारी अपनी कोई भाषा नहीं, साहित्य नहीं, संस्कृति नहीं ?  हम हर क्षेत्र में पश्चिम की नकल को ही अकल मानते चले आ रहे है | जिस शब्द का हम सही से उच्चारण भी नहीं कर पाते उस वेलेंटाइन डे से हमें क्या लेना देना | इन सब दकियानूसी परम्पराओं से हमें उबरना होगा, पश्चिमी चोला उतार फेकना होगा, हमें अपने वास्तविक परम्पराओं और संस्कृत को अपनाना होगा |

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की “प्रेम” को दुसरे के शब्दों और परम्पराओं के जरिये जताने के बजाय अगर हम अपने शब्दों, वेशभूषा, और अपने रंग में रंग कर प्रेम का इजहार, इकरार और इंकार करें तो जो आनंद की प्राप्ति और अनुभूति होगी उसको हम किसी भी रूप में व्यक्त नहीं कर सकते या यूँ कह लीजिये कि उसका मर्म कोई वेलेंटाइन क्या समझेगा |

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

उत्कंठा ( अभिलाषा )

छुपते-छुपाते आये वो पर बात अभी बाकी है
दिल में सोये न जाने जज्बात अभी बाकी है ||
वो कहकर चलते बने, फिर आयेंगे
कैसे बताऊँ उनको की मुलाकात अभी बाकी है ||
हे! निशा तू खीँच ले अपने तम की चादर
ताकि उनसे कह सकूँ की रात अभी बाकी है ||
कुछ देर बैठो पास मेरे, जुल्फों से खेलो तुम
सर रखूं जिन हांथों पर वह हाथ अभी बाकी है ||
प्रेम की लौ में जल रहा मेरा चन्दन सा बदन
रोक दो इस आवेग को, एक साथ अभी बाकी है ||
इतनी जल्दी क्या है, अभी तो कुछ बात भी नहीं हुई
जी भरकर बात करुँगी, अभी तो सारी बात बाकी है ||
जब थम जाये आँसूं मेरे, फिर शौक से चले जाना
ऐसे में कहाँ जाओगे बरसात अभी बाकी है ||

बुधवार, 30 जनवरी 2019

छल !


सुजाता ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने गौरी को देख अवाक् रह गई और गौरी अपने भाभी को देखकर ख़ुशी से उछलकर लिपट गयी, “ अरे मेरी प्यारी भाभी! कैसी है आप? बहुत दिनों के बाद मैंने आपको देखा | ये कहते हुए अपनी भाभी का हाथ पकड़ कर घर के अन्दर आ गयी |
गौरी ! तू यहाँ कैसे ? ना ही कोई फ़ोन और न कोई मैसेज, और तेरे एग्जाम का क्या हुआ वो तो सर पे है | तू हॉस्टल छोड़ कर कैसे आ गयी ? सुजाता ने चिंता जताते हुए एक साथ कई प्रश्नों की झड़ी लगा दी
गौरी ने इत्मीनान से कहा, “ बताती हूँ भाभी बताती हूँ पहले ये बताइए की भैया कहाँ है?
“वो तो कंपनी के सिलसिले में बाहर गए हुए है आज ४ दिन हो गए है और परसों शाम की फ्लाइट से वापस आ रहे है |” इतना कहकर सुजाता उठी और रसोईं की तरफ बढ़ गयी
“गौरी पहले तू फ्रेश हो जा काफी थक गयी होगी मेरी गुडिया ! एक तो इतनी दूर का सफ़र, मै तेरे लिए कुछ नास्ता तैयार करती हूँ फिर मिलकर बातें करेंगे |
ठीक है भाभी ! इतना कहकर गौरी गुशलखाने की तरफ बढ़ गयी |
गौरी जैसे ही नहाकर निकली देखा भाभी डायनिंग टेबल पर नास्ता लगा रही थी | गौरी २४ साल की बहुत ही खुबसूरत अमर की छोटी बहन थी जो अपनी पढाई हॉस्टल में रहकर कर रही थी और ५ महीने बाद वह भैया और भाई से मिलने आई थी |
“अब बता तेरा कैसे आना हुआ ? तू इतने अचानक कैसे चली आई ? सुजाता ने नास्ता लगाते हुए आखिर पूछ ही लिया |
गौरी नास्ता किये जा रही थी और साथ ही साथ अपने मोबाइल पर किसी से चैट भी किये जा रही थी | सुजाता ने गौर किया की गौरी की आँखों में एक चमक थी और होठों पर हलकी से मुस्कान, वह भाभी की बातों को अनसुना करके अपने मोबाइल में ही ब्यस्त रही नास्ता भी ठीक से नहीं किया |
गुडिया!!! मैंने कुछ पूछा है तुझसे और तू है की ना तो तेरा खाने में ही ध्यान है और ना ही मेरी बात का, जब से तू आई है मै देख रही हूँ की तू अपने मोबाइल में ही बिजी है” | सुजाता ने थोडी कड़ाई दिखाई |
ओह्ह्ह!!! माफ़ कीजिये भाभी मै जरा बिजी हो गयी थी एक सहेली से बात कर रही थी | हाँ बोलिए क्या पूछ रही थी आप ? अच्छा !!! वो, भाभी मेरा हॉस्टल में जरा भी मन नहीं लग रहा था बार- बार आप लोग याद आ रहे थे, तो सोचा मै यही आप लोग के पास आ जाती हूँ और यही से एग्जाम की तयारी भी कर लुंगी और हम सब साथ में भी रह लेंगे ”
सुजाता ने हाँ में सर हिलाया, “ ठीक है मेरी प्यारी गुडिया यही रहेगी और एग्जाम की तयारी भी कर लेगी |
भाभी की सहमती पाकर गौरी और भी खिल गयी और उठकर भाभी के गले लग गयी
“अच्छा भाभी एक बात बताओ | गौरी ने भाभी के तरफ देख कर शरारत भरी नजरों से पूछा, “ बिना भैया के आप कैसे रह लेती हो इतने बड़े घर में आप बोर नहीं होते हो?”
भाभी थोडा सा मुस्कराई “काहे का बोर रे, बहुत काम भी तो होता है इतने बड़े घर में, दिनभर काम और उसके बाद रात, कब बीत जाती है पता ही नहीं चलता |
“हाँ वो तो है | इतना कहकर गौरी उठी और अपने कमरे की तरफ चल दी, “ भाभी मै थोडा सा आराम करना चाहती हूँ कुछ थकान सी महसूस कर रही हूँ |
ठीक है गुडिया! तू जाकर आराम कर तब तक मै घर का काम निपटा देती हूँ


रात के ११ बजे दरवाजे की घंटी ने सुजाता की नींद में खलल डालते हुए चिल्लाना शुरू किया
सुजाता अनमने मन से उठी “जो की अभी एक घंटे पहले ही घर का सारा काम निपटाकर बिस्तर पर गिरी थी” और दरवाजा खोला तो देखा सामने अमर खडे- खड़े मुस्कुरा रहा था |
अरे अमर आप! मानो जैसे उसे यह विश्वास ही नहीं हो रहा था की अमर सामने खड़ा है और हो भी न क्यों | क्योंकि अमर ने ही बताया था की वह कल शाम की फ्लाइट से आएगा और अचानक सामने अमर को देखकर वह आश्चर्य चकित थी
क्या हुआ डार्लिंग ? कहते हुए अमर ने सुजाता को अपनी बाहों में भींच लिया “ मुझे देखकर खुश नहीं हुई क्या ? |
“नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है” सुजाता को तो कुछ सूझ ही नही रहा था की वह क्या बोले, “ आप तो कल आने वाले थे न”
हां डार्लिंग!! लेकिन मेरा काम समय के पहले यानी की आज ही हो गया और मेरी जान!! की  भी बहुत याद रही थी” अमर थोडा रोमांटिक होते हुए बोला, “ इसलिए आज की फ्लाइट से आ गया |
“ठीक है आप फ्रेश हो जाइये मै आपके लिए खाना लगा देती हूँ” सुजाता ने कहा
नहीं जान!! मैने रास्ते में ही खाना खा लिया है अब तो केवल अब आपके प्यार की भूख लगी है” कहते हुए अमर ने सुजाता को अपनी गोद में उठाकर बेडरूम की तरफ चल दिया
बातें करते हुए सुजाता ने गौरी के आने की बात अमर को बताई और ये भी बताया की वह हॉस्टल छोड़कर आई है और अब यही रहकर अपनी पढाई करेगी
“अमर मुझे लगता है की गौरी का अचानक हॉस्टल छोड़कर यहाँ आना कुछ अजीब लग रहा है  मुझे और मैंने यह भी नोटिस किया है की वह दिन भर अपने फ़ोन पर बिजी रहती है | पता नहीं वह किस से बात करती है” सुजाता ने अमर के सीने पर हाथ फेरते हुए कहा, “ कहीं प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं है | उसका किसी के साथ अफेयर तो नहीं है ? |
“ठीक है मै उससे सुबह बात करता हूँ “ अमर ने कुछ सोचने वाली मुद्रा में जवाब दिया
फिर वे दोनों सपनों की दुनियां में खो गए


डायनिंग टेबल लगा हुआ था तीनो बैठकर नाश्ता कर रहे थे | कमरे में एकदम चुप्पी थी
गुडिया!! अमर गौरी से मुखातिब हुआ.,” तुम्हारी पढाई कैसे चल रही है और तुम्हारी भाभी ने सब बता दिया है मुझे’” कोई बात नहीं है अगर तुम यही रहकर पढना चाहती हो तो ये तो और अच्छी बात है |
“हाँ भैया!! अब मै यही रहकर आप लोगों के साथ अपनी तैयारी करुँगी” गौरी ने नास्ता समाप्त करते हुए कहा
“सुजाता यह भी बता रही थी की तुम्हारा किसी के साथ कुछ अफेयर वगैरह चल रहा है” अमर गौरी की आँखों में झाकते हुए बोला |
गौरी ने पहले तो भाभी को देखा फिर अमर की तरफ घूमी. “ क्या भैया आप भी न, भाभी की बातों में आ गए | मेरी प्यारी भाभी बहुत भोली है “
“ क्या बातों में आ गए “ सुजाता ने मुंह बनाते हुए कहा, “ जब से तुम आई हो मैंने तुम्हे मोबाइल में हमेशा बिजी देखा है और रात को तो मैंने तुम्हे फोन पे किसी को आई लव यू भी कहते हुए सुना है |
अमर गौरी के चेहरे पर लगातार नजरे गडाए हुए अपने प्रश्नों के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा था
भैया!!!! मेरा किसी के साथ कुछ चक्कर वक्कर नहीं चल रहा है आप मेरा विश्वास करो |
और भाभी ने जो सुना है वो सच है, वो मेरी एक सहेली रेनू है जो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती है वो मेरी बेस्ट फ्रेंड है, उसी के साथ मै बात कर रही थी और ये देखिये” गौरी ने अपने मोबाइल स्क्रीन को अमर के सामने करते हुए, “ भाभी जो चैट की बात कर रही है न ये देखिये रेनू को मैंने वो व्हाट्स अप किये है जो भाभी आपको बता रही है | अमर ने एक सरसरी निगाह मोबाइल के स्क्रीन पर दौड़ाई और कहा, “ ठीक है गुडिया मै तो बस यूँ ही पूछ रहा था  | मुझे तुम पर पूरा भरोसा है “


शाम को सुजाता और अमर दोंनो कमरे से निकल कर हॉल में आये और गौरी को आवाज लगायी
“क्या बात है भैया!!  गौरी अपने कमरे से निकल कर हॉल में आई और भैया की तरफ देखने लगी
गुडिया!!!! अमर को मै एअरपोर्ट छोड़ने जा रही हूँ मुझे लेट होगा मैंने खाना आर्डर कर दिया है भूख लगे तो खा लेना और दरवाजा अन्दर से लॉक कर लेना” सुजाता अमर को लेकर बाहर निकल गयी
ठीक है भाभी लेकिन आप कब तक आओगे ?? गौरी ने पूछ लिया
“रात की फ्लाइट है तुम्हारी भाभी को आने में ११ तो बज ही जायेंगे “ | अमर गौरी को हाथ के इशारे से बाय कहते हुए बोला



गौरी अपनी किताबों पर झुकी हुई थी तभी डोरबेल बज उठी
उसने अपना चेहरा दिवार पर लगी घडी की तरफ किया तो घडी ८ बजा रही थी | उठकर दरवाजा खोला तो सामने “टेस्टी पिज़्ज़ा” का एक लड़का आर्डर लेकर खड़ा था |
“मैडम आपका आर्डर” लडके ने एक हलकी मुस्कान के साथ पार्सल गौरी को दिया
“थैंक यू” कहकर गौरी ने दरवाजा बंद किया और बेड पर आकर पार्सल खोलकर पिज़्ज़ा खाने लगी
जैसे-जैसे गौरी पिज़्ज़ा खा रही थी उसे यह महसूस हो रहा था की वह गोल-गोल घूम रही है अचानक उसका सर फटने लगा और वह मूर्छित होकर एक तरफ लुढ़क गयी
आधे घंटे के बाद कमरे का दरवाजा अपने आप धीरे से खुला “पिज़्ज़ा बॉय” दबे पाँव अन्दर दाखिल हुआ और सामने का नज़ारा देखकर उसके चेहरे पर एक हलकी सी अर्थपूर्ण मुस्कान आकार चली गयी

लगभग सवा ग्यारह बजे थे सुजाता घर आई |
गुडिया!!!! गुडिया !!!!! अन्दर आकर उसने गौरी को पुकारा लेकिन उत्तर नदारद था
एक अनहोनी आशंका मन में लेकर सुजाता गौरी के कमरे की तरफ बढ़ी
जैसे ही उसने कमरे में कदम रखा गौरी को बदहवाश हालत में पाकर उसके पैरों तले से जमींन मानो खिसक सी गयी, गौरी के कपडे फटे और अस्त ब्यस्त हालत में थे |
भाभी!!!! गौरी जोर से चिल्लाकर सुजाता से लिपट कर जोर जोर दहाड़ मार कर रोने लगी | वह रोये जा रही थी रोये जा रही थी, रो रो कर उसका बुरा हाल था चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था |

गुडिया !!! ये क्या हुआ, “ ये सब कैसे हुआ कहकर सुजाता भी रोने लगी | बोल गुडिया कुछ तो बोल
गौरी का मुंह तो जैसे सिल ही गया हो बस रोये जा रही थी | सुजाता ने गौरी के दोनों कंधे पकड़ कर जोर से झिंझोड़ा और चिल्लाई, “ गुडिया!!!! मेरी बच्ची ये क्या हुआ कैसे हुआ, बोल तो सही”
भाभी!!!! गौरी ने अपने आप को थोडा संभाला और दबी हुई आवाज़ में कहा, “ वो पिज़्ज़ा बॉय आर्डर लेकर आया था, चेहरे पर आये हुए अपने बालों को पीछे की तरफ करते हुए, “ मैंने जैसे ही पिज़्ज़ा खाया वैसे मुझे लगा की मुझे चक्कर आ रहा है और फिर धीरे धीरे मै बेहोश होते चली गयी | इतना कहकर गौरी फिर से रोकर कहने लगी, “ कुछ देर के बाद वही पिज़्ज़ा बॉय को मैंने अपने पास महसूस किया उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं भाभी, |
भाभी तो सर पर हाथ पकड़ कर धम्म से निचे गिर गयी | यह देखकर गौरी और जोर से रोने लगी
थोड़ी देर के बाद सुजाता ने अपने आप को संभाला और कहा. “ चुप हो जा बेटी यह बात किसी को भी मत बताना, अपने भैया को तो बिलकुल भी नहीं, नहीं तो वो बिना मारे ही मर जायेंगे, समाज क्या कहेगा, बहुत ऊच नीच होगा’ रुक!!! तू रुक मै कुछ करती हूँ सुबह
रात काली चादर ओढ़कर चुपचाप सोयी थी


सुबह के ९ बजे
सुजाता ने सबसे पहले “टेस्टी पिज़्ज़ा” को कॉल किया
“हेलो!!!!! ‘टेस्टी पिज़्ज़ा’ एक पिज़्ज़ा और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया

२० मिनट के बाद डोरबेल बज उठी
सुजाता ने दरवाजा खोला तो देखा सामने वही “पिज़्ज़ा बॉय” आर्डर लेकर खड़ा था
“अन्दर आ जाओ” सुजाता ने भारी आवाज़ में कहा
पिज़्ज़ा बॉय जैसे ही कमरे में प्रवेश हुआ सुजाता न दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और एक झन्नाटेदार थप्पड़ लड़के के गाल पर रशीद कर दिया | अचानक हुए हमले से लड़का संभल नहीं पाया और एक तरफ लड़खड़ाकर गिर गया
“पापी, नीच तूने यह क्या किया, सुजाता फट पड़ी. “ मेरी फूल से बच्ची को तूने मसल दिया | बता तूने ऐसा क्यों किया, बता नहीं तो मै अभी पोलिस को फ़ोन करती हूँ | सुजाता उसके टी-शर्ट का कॉलर पकड़ कर उसे झकझोर रही थी और गौरी यह सब देख कर और रोये जा रही थी
हे मैडम!!!! एक भारी आवाज़ ने गौरी का ध्यान अपनी ओर खीचा, “एक बार जरा इस विडिओ क्लिप पर भी ध्यान दो” उसने अपनी जेब से अपना मोबाइल निकालकर एक विडियो दिखाते हुए बोला “बाद में बेशक पुलिस को कॉल कर लेना या फांसी पर लटकवा देना |
विडिओ देखकर सुजाता को “काटो तो जैसे खून नहीं” वाली हालत हो गयी,  वह उसके पैरों में गिर गयी. “ प्लीज़ ऐसा मत करो मै तुम्हारे हाथ जोडती हूँ पैर पड़ती हूँ मेरी बच्ची की जन्दगी बर्बाद मत करो, इतना कहकर वह छाती पीट पीटकर रोने लगी |
“अच्छा!!! ये विडियो मै तुझे दे दूँ मुझे पागल समझा है क्या | अरे यही तो एक जरिया है गौरी से रोज़ मिलने का, “ह़ा हाआआआ!!!!!!! जोर जोर से हसने लगा लड़का “ अगर उसने मेरी बात नहीं मानी तो ये विडियो चारों तरफ वायरल हो जायेगा, सब जगह व्हाट्स अप, फेसबुक और यूट्यूब पर अपलोड कर दूंगा, मै अब रोज़ आऊंगा और मुझे केवल और केवल गौरी चाहिये |

इधर गौरी की हालात और ख़राब होते जा रही थी | सुजाता ने जब देखा तो वह उठी और हाथ जोड़कर बोली, “ तुम जो बोलोगे जैसे बोलोगे मै करने को तैयार हूँ लेकिन ये विडियो प्लीज़ डिलीट कर दो
इतना सुनकर लड़के के होठों पर एक कुटिल मुस्कान चमक गयी “ अच्छा !!!!! मै जो बोलूँगा वो करोगी |  सुजाता ने बिना कुछ सोचे समझे हां में अपनी गर्दन को जोर से हिलाया  “जो तुम बोलोगे मै वही करूँगी लेकिन यह विडियो तुम डिलीट कर दोगे ना
“हा बिलकुल डिलीट कर दूंगा तुम्हारे सामने”  और लड़का जोर जोर से मोबाइल हवा में लहराता हुआ बोला | “ तो ठीक है मुझे छोटे पिज़्ज़ा के साथ बड़ा वाला पिज़्ज़ा भी चाहिये”
इतना सुनकर गौरी जोर से चिल्लाई,  नहीं भाभी!!!!!!  आप ऐसा बिलकुल भी मत करना और जोर जोर से फिर रोने लगी
ठीक है मै करुँगी!!! सुजाता ने गर्दन झुका कर जवाब दिया
“तो फिर चलो अपने कमरे में” देर किस बात की है | लड़का विजयी मुस्कान के साथ गौरी की तरफ देखने लगा

गौरी बेचारी अपनी किस्मत को कोस रही थी पता नहीं क्यों मै भैया और भाभी के साथ रहने आई| भैया को पता चलेगा तो क्या जवाब दूंगी यह सोच कर वह कोने में बैठ कर भाभी को पिज़्ज़ा बॉय के साथ कमरे में जाते हुए देखने लगी

“क्या दिमाग चलाया है राकेश” अपने आँसू पोछते हुए सुजाता पिज़्ज़ा बॉय से बेड पर हँसते हुए  कह रही थी | क्या गेम खेला है तुमने अब तो हमें मिलने से कोई नहीं रोक सकता है | मुझे डर  लग रहा था था की गौरी के रहते हुए अब हम कभी नहीं मिल सकते क्योंकि उसको यह बात मालूम हो जाती की हमारे और तुम्हारे बीच में कुछ है तो वो अपने भैया से कह देती | लेकिन अब तो हम इस विडिओ क्लिप के सहारे जब चाहे तब मिल सकते है और अमर को भी इस बात का कभी पता नहीं चलेगा” यह कहते हुए सुजाता राकेश की बाहों में झूल गयी

शनिवार, 3 नवंबर 2018

किसान


कड़ी धुप में हल चलाता
ना-नुकुर न करने आता
सख्त धरा का उर चीरकर
सबके लिए अन्न उगाता
उदर सभी का वो है भरता |
और बेचारा वो क्या करता ||
फटी तौलिये को ओढ़कर
ठिठुरन से स्वयं को बचाता
पड़े अकाल प्रकृति आपदा
बैठ निरुत्तर आहें भरता
प्रलय-प्रवाह से वो है डरता |
और बेचारा वो क्या करता ||
रुखी सुखी रोटी खाके
उगा रहा है वो धन-धान
मिले पेट भर सबको भोजन
पर किस-किस ने दिया ध्यान?
शहर-गाँव का दुःख है हरता |
और बेचारा वो क्या करता ||
महंगे हो गए बीज और पानी
आगे चलेगी कैसे किसानी
लाभ नहीं है इसमें है हानि
हर किसान की यही कहानी
यह सोचकर एक निर्णय करता |
इसलिए किसान आत्महत्या करता ||

शनिवार, 28 अप्रैल 2018

रिश्ते


दूर जाने से रिश्ते टूटा नहीं करते
गुस्से से मन का गुबार फूटा नहीं करते
लोगों का क्या है सिर्फ, एक बहाना चाहिए
यह बंधन है दिलों का इसे निभाना चाहिए

पुराने हो या नये, चोट कितने भी हो दिए
कोई रूठ जाता है कोई मान जाता है
उनके लिए दिल में प्यार है यह जताना चाहिए
यह बंधन है दिलों का इसे निभाना चाहिए

मुक्कदर में है तभी तो मिलते है
फुल रूपी रिश्ते तभी तो खिलते है
निःस्वार्थ भाव से मिलने आना चाहिए
यह बंधन है दिलों का इसे निभाना चाहिए

छोटी-छोटी बातों पे रूठ जाते है
अनजाने में उनसे हाथ छुट जाते है
वक्त के साथ झुक जाना चाहिए
यह बंधन है दिलों का इसे निभाना चाहिए

कोई नाम नहीं होता दिल से बने रिश्तों का
मोहताज नहीं ये झूठे प्यार के किस्तों का
सारी दुनियाँ को ये “राज” बताना चाहिए
यह बंधन है दिलों का इसे निभाना चाहिए

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

बड़ा मज़ा मेरे गाँव में


पीपल, बरगद के छाँव में
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में |
कहाँ से कहाँ ये गया जमाना
नहीं दिखता अब चीज़ पूराना
अब धुल न लगती पाँव में
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में ||
धोती कुरता सब छूटा भाई
कमर बेल्ट लटकी गर टाई
टाईट जींस है पाँव में  
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में |||
बेना पंखी छुट गया सब
कूलर एसी जगह ले लिए अब
कहाँ खो गयी शुद्ध हवा अब  
जो मिलती झुरमुट के छाँव में
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में |V
उपर-नीचे सेहत होती  
स्वस्थ शरीर को आत्मा रोती
सब रोग-दोष की दवा है मिलती
बड़े बुजुर्ग के पाँव में
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में V
सादा सरल गाँव का जीवन
भीड़-भाड़ और शहर में अनबन
कितना पाए किसका ले लें
सब अपने-अपने है दांव में
था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में VI