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मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

उत्कंठा ( अभिलाषा )

छुपते-छुपाते आये वो पर बात अभी बाकी है
दिल में सोये न जाने जज्बात अभी बाकी है ||
वो कहकर चलते बने, फिर आयेंगे
कैसे बताऊँ उनको की मुलाकात अभी बाकी है ||
हे! निशा तू खीँच ले अपने तम की चादर
ताकि उनसे कह सकूँ की रात अभी बाकी है ||
कुछ देर बैठो पास मेरे, जुल्फों से खेलो तुम
सर रखूं जिन हांथों पर वह हाथ अभी बाकी है ||
प्रेम की लौ में जल रहा मेरा चन्दन सा बदन
रोक दो इस आवेग को, एक साथ अभी बाकी है ||
इतनी जल्दी क्या है, अभी तो कुछ बात भी नहीं हुई
जी भरकर बात करुँगी, अभी तो सारी बात बाकी है ||
जब थम जाये आँसूं मेरे, फिर शौक से चले जाना
ऐसे में कहाँ जाओगे बरसात अभी बाकी है ||

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